पंजाब में मज़दूर संकट गहराया: उद्योग, खेती और शिक्षा तीनों पर असर, युद्धविराम के बाद भी प्रवासी मज़दूरों का पलायन जारी

चंडीगढ़। राजवीर दीक्षित
(Labour Shortage Disrupts Industry)भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए युद्धविराम के बाद पंजाब में जनजीवन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। हवाई अड्डे, मॉल, बाजार और अन्य व्यावसायिक केंद्र दोबारा खुल गए हैं। लेकिन इस सामान्यता के बीच पंजाब एक नई और गंभीर चुनौती से जूझ रहा है—प्रवासी मज़दूरों का पलायन। जालंधर और लुधियाना जैसे प्रमुख औद्योगिक केंद्रों में काम करने वाले हजारों मज़दूर भय और असुरक्षा की भावना से अपने मूल राज्यों को लौट रहे हैं।

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प्रसिद्ध उद्योगपति जैसे कि निविया स्पोर्ट्स के राजेश खरबंदा, प्राइम लेदर के गौरव सूद, जय डी लेदर के दीपक चावला और अन्य ने एक सुर में कहा है कि सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों और डर ने मज़दूरों के मन में गहरी चिंता पैदा कर दी है। उनका कहना है कि हालात सामान्य होने के बावजूद मज़दूरों का भरोसा जीतना मुश्किल हो रहा है। अफवाहों और फेक न्यूज के कारण न केवल उत्पादन प्रभावित हो रहा है, बल्कि निर्यात ऑर्डर भी अधर में लटक रहे हैं।

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लुधियाना में राज्यसभा सांसद संजय अरोड़ा ने उद्योगपतियों के साथ बैठक कर स्थिति को संभालने के लिए हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया है। उद्योग जगत राशन सहायता, बोनस और अतिरिक्त सुविधाओं के ज़रिए मज़दूरों को रोकने की कोशिश कर रहा है, लेकिन यह प्रयास फिलहाल सीमित असर दिखा पा रहे हैं।

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यह संकट अब केवल औद्योगिक उत्पादन तक सीमित नहीं रह गया है। पंजाब के सीमावर्ती जिलों में हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत ड्रोन हमलों के बाद डर का माहौल और गहरा गया है। इसके चलते छात्रों और छोटे व्यापारियों ने भी अपने राज्यों को लौटना शुरू कर दिया है।

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सबसे गंभीर प्रभाव खेती पर पड़ने की आशंका है। धान की रोपाई का मौसम नजदीक है, और पंजाब के किसान प्रवासी मज़दूरों पर अत्यधिक निर्भर रहते हैं। मज़दूरों की कमी से रोपाई में देरी हो सकती है, जिससे पैदावार घट सकती है और आर्थिक नुकसान बढ़ सकता है।

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जिला प्रशासन और पुलिस लोगों को आश्वस्त करने की कोशिश कर रही है, लेकिन विश्वास बहाल करने की प्रक्रिया धीरे चल रही है। अगर स्थिति पर शीघ्र नियंत्रण नहीं पाया गया, तो पंजाब की आर्थिक रीढ़ कहे जाने वाले उद्योग और कृषि क्षेत्र दोनों को भारी नुकसान हो सकता है।

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