चंडीगढ़। राजवीर दीक्षित
(The Spiritual Secret Behind Yellow Robes)वृंदावन के सुप्रसिद्ध संत प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज, जिन्हें श्रद्धालु “प्रेमानंद जी महाराज” के नाम से जानते हैं, अपने पीले वस्त्रों के लिए विशेष रूप से चर्चित हैं। यह प्रश्न अक्सर भक्तों के मन में उठता है कि महाराज जी सदैव पीले वस्त्र ही क्यों धारण करते हैं?
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दरअसल, यह केवल रंग नहीं, बल्कि उनके भक्ति जीवन की एक गहराई से जुड़ी आध्यात्मिक अभिव्यक्ति है। राधावल्लभ परंपरा से जुड़े प्रेमानंद जी पीले रंग को राधा रानी की आभा और श्रीकृष्ण के पीतांबर स्वरूप का प्रतीक मानते हैं। उनके लिए यह रंग भक्ति, समर्पण और प्रेम का जीवंत प्रतीक बन चुका है।
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बाल्यकाल में ही सांसारिक मोह से मुक्त होकर, उन्होंने ब्रह्मचर्य व्रत धारण किया और नित्य राधा-कृष्ण की सेवा में लीन हो गए। उनके माथे पर पीले चंदन का तिलक और पीले वस्त्र न केवल परंपरा का निर्वहन करते हैं, बल्कि उनके जीवन के दिव्य उद्देश्य को भी दर्शाते हैं।
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आज प्रेमानंद जी महाराज लाखों श्रद्धालुओं के लिए भक्ति, सेवा और संन्यास का प्रेरणा स्रोत बन चुके हैं — और उनका पीला परिधान, उस आध्यात्मिक आभा का उज्ज्वल प्रतीक बनकर उभरता है।