नई दिल्ली । राजवीर दीक्षित
हेल्थ इंश्योरेंस कराने वाले लोगों के लिए राहत की बड़ी खबर आई है।
अब इंश्योरेंस कंपनियों को कैशलेस क्लेम का अप्रूवल के लिए एक घंटे के भीतर और हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के 3 घंटे के भीतर फाइनल अप्रूवल देना होगा।
इंश्योरेंस रेगुलेटर आईआरडीएआई ने एक सर्कुलर जारी कर इंश्योरेंस कंपनियों को ये निर्देश दिया है।
नए नियम के तहत मोटर इंश्योरेंस के तर्ज पर हेल्थ इंश्योरेंस के पॉलिसी रिन्यूअल के समय भी कंपनियों को नो क्लेम बोनस या डिस्काउंट देना होगा।
निर्देशों को लागू करने के लिए इंश्योरेंस कंपनियों को इसी साल 31 जुलाई तक की मोहलत दी गई है।
हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर ग्राहकों के हक में आईआरडीएआई का बड़ा फैसला
1. कैशलेस क्लेम पर 1 घंटे के भीतर ग्राहकों को आथराइजेशन मिले। हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के 3 घंटे के भीतर फाइनल आथराइजेशन जरुरी है।
2. इंश्योरेंस रेगुलेटर आईआरडीएआई इंश्योरेंस कंपनियों को जारी किया गया। मोटर इंश्योरेंस के तर्ज पर हेल्थ इंश्योरेंस में भी नो-क्लेम का फायदा दिया जाए।
3. हेल्थ पॉलिसी रिन्युअल के समय नो-क्लेम बोनस/डिस्काउंट मिले। प्रीमियम कम करें या सम-इश्योरड बढ़ाकर ग्राहकों को फायदा दें।
4. हॉस्पिटल में मौत होने पर डैड बॉडी तुरंत परिजनों को सौंपना होगा। क्लेम सेटलमेंट के वक्त पॉलिसी होल्डर से कोई दस्तावेज नहीं मांगें जाएं।
5. इंश्योरेंस कंपनी और टीपीए को जरुरी दस्तावेज हॉस्पिटल से लेना होगा।
कब लागू होंगे ये नियम
आईआरडीआई ने बीमा कंपनियों से आगामी 31 जुलाई तक इन नियमों को लागू करने को कहा है।
कैशलेस अनुरोध के मामलों के लिए अस्पताल एक हेल्प डेस्क की व्यवस्था कर सकते हैं।
क्या कहा है आईआरडीएआई ने
आईआरडीएआई ने हेल्थ इंश्योरेंस पर 55 सर्कुलरों को रद्द कर एक मास्टर सर्कुलर जारी किया है।
इस सर्कुलर के मुताबिक पॉलिसीधारक को अनुरोध करने के 3 घंटे के भीतर क्लेम सेटलमेंट की सुविधा मिल जाएगी।
आईआरडीएआई ने कहा है कि बीमा कंपनी को अस्पताल से डिस्चार्ज अनुरोध प्राप्त होने के तीन घंटे के भीतर मामला निपटाना होगा।
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अस्पताल से छुट्टी के लिए इंतजार नहीं
बीमा नियामक ने कहा है कि मरीज को किसी भी स्थिति में अस्पताल से डिस्चार्ज होने के लिए इंतजार नहीं करवाना चाहिए।
यदि पॉलिसी धारक के मरीज को अस्पताल से छुट्टी मिलने में तीन घंटे से ज्यादा देरी हुई तो अस्पताल द्वारा ली जाने वाली अतिरिक्त राशि (अगर कई हो) इंश्योरेंस कंपनी के शेयर धारकों के फंड से वहन की जाएगी।
आईआरडीएआई ने बनाए ये नियम
अब नियम बना दिया गया है कि इलाज के दौरान पॉलिसीधारक की मौत होने पर इंश्योरेंस कंपनी क्लेम सेटलमेंट के अनुरोध पर तुरंत कार्रवाई करेगी।
यही नहीं, शव को तुरंत अस्पताल से निकलवाया जाएगा।
नियामक ने कहा कि इंश्योरेंस कंपनी को समयबद्ध तरीके से 100 प्रतिशत कैशलेस क्लेम सेटलमेंट एक तय सीमा में करना चाहिए।
एमरजेंसी है तो अनुरोध के एक घंटे में निर्णय हो जाए।
आईआरडीएआई के फैसले से कैसे होगा लाभ
आईआरडीएआई द्वरा लिए गए फैसले से अब पॉलिसी होल्डर को परेशान नहीं होना पड़ेगा।
पहले इंश्योरेंस कंपनी द्वारा क्लेम एक्सेप्ट करने में काफी समय लगता था। ऐसे में कई बार देखा गया कि पॉलिसी होल्डर ने खुद ही अस्पताल के बिल का भुगतान कर दिया।
वहीं कई बार मरीज ठीक होने के बावजूद अस्पताल में रुका रहता है और इंश्योरेंस कंपनी द्वारा एक्सेप्ट का इंतजार करता था।
अब आईआरडीएआई ने क्लेम के लिए एक निर्धारित समय तय किया है। इस समय के भीतर ही इंश्योरेंस कंपनी को क्लेम एक्सेप्ट करना होगा।
अगर कंपनी समय के भीतर क्लेम एक्सेप्ट नहीं करती है तब अस्पताल द्वारा लगाए गए एक्स्ट्रा खर्च की भरपाई कंपनी द्वारा की जाती है।
आईआरडीएआई ने सभी कंपनियों को आदेश दिया है कि वह कैशलेस इलाज के लिए एक घंटे के भीतर अप्रूवल दे और क्लेम सेटलमेंट के लिए 3 घंटे में फाइनल अप्रूवल दें।
अगर वह समय के भीतर क्लेम सेटलमेंट नहीं करते हैं तो अस्पताल द्वारा लगाए जाने वाले एक्स्ट्रा खर्च का भुगतान कंपनी द्वारा किया जाएगा।
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इस फैसले के बाद मरीज को ज्यादा देर अस्पताल में रुकने की आवश्यकता नहीं होगी।
अस्पताल भी मरीज को जल्दी से डिस्चार्ज देने के लिए बिल सेटलमेंट करेगा। इससे मरीज को ज्यादा देर अस्पताल में ठहरना नहीं पड़ेगा।