नई दिल्ली । राजवीर दीक्षित
(Viewing and Downloading Child Pornography Now Considered a Crime) ‘चाइल्ड पोर्नोग्राफी’ यानि बच्चों के यौन संबंध से जुड़े अश्लील वीडियोज देखना या उन्हें डाउनलोड करना अपराध माना जाएगा। मोबाइल समेत किसी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट में भी अगर चाइल्ड पोर्न वीडियोज रखे जाते हैं तो भी अपराध मानकर कार्रवाई की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए यह अहम फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, चाइल्ड पोर्न देखने, डाउनलोड करने और मोबाइल में रखने वालों को अपराध के दायरे में लाकर उन पर POCSO एक्ट और आईटी कानून के तहत कार्रवाई होगी।
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सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट का आदेश पलटा
चाइल्ड पोर्नोग्राफी को लेकर सुप्रीम कोर्ट का यह बड़ा फैसला है। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को पलट दिया है। जिसमें यह कहा गया था कि, चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े कंटेंट को सिर्फ डाउनलोड करना या फिर देखना पॉक्सो एक्ट और आईटी क़ानून के तहत अपराध के दायरे में नहीं आता। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि, अपने फोन में चाइल्ड पोर्नोग्राफी वीडियोज सिर्फ रखने भर से किसी को पॉक्सो कानून और IT कानून की धारा 67B के तहत आरोपी नहीं बनाया जा सकता।
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मद्रास हाईकोर्ट ने इसी आधार पर अपने मोबाइल फोन में चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े कंटेंट रखने के आरोपी एक शख्श के खिलाफ चल रहे केस को रद्द कर दिया था। जिसके बाद बच्चों के अधिकार के लिए काम करने वाली कई संस्थाओं ने इस आदेश के खिलाफ SC का रुख किया। जहां अब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए कहा यह साफ कर दिया कि चाइल्ड पोर्न देखना-डाउनलोड करना या फिर चाइल्ड पोर्न को किसी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट में रखना अपराध है।
भले ही चाइल्ड पोर्न के वीडियोज शेयर न किए जायें लेकिन…
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, अगर कोई शख्स चाइल्ड पोर्न के वीडियोज देखता और उन्हें डाउनलोड करता है, लेकिन वह उन्हें किसी और के पास शेयर या पब्लिश नहीं करता, तो भी वह अपराधी ही माना जाएगा। क्योंकि उसने चाइल्ड पोर्न के वीडियोज अपने पास रखे हैं और यह एक बड़ा अपराध है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मतलब है कि अगर कभी ग़लती से आपने बच्चों के यौन संबंध से जुड़े वीडियोज डाउनलोड कर लिए तो सबसे पहले उन्हें फटाफट डिलीट करिए तुंरत पुलिस को इस बारे में रिपोर्ट कीजिए।
अगर आप वीडियोज को डिलीट नहीं कर रहे हैं तो ये माना जाएगा कि आपका मकसद इसे आगे भेजने का है (भले ही आप वास्तव में ऐसा न करें)। ये अपराध की कैटेगरी में ही आएगा। सुप्रीम कोर्ट ने POCSO के सेक्शन 15(1) की व्याख्या इस तरह से की है।
सुप्रीम कोर्ट ने ‘चाइल्ड पोर्नोग्राफी’ और इसके कानूनी परिणामों के मुद्दे पर कुछ दिशा-निर्देश तय किए हैं।