शिमला । राजवीर दीक्षित
(Supreme Court’s Stinging Reprimand: Himachal Pradesh’s Disregard for Sports Heroes Exposed) हिमाचल प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2014 के एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता को खेल कोटे के तहत नौकरी देने से इनकार करने के बाद एथलीटों का समर्थन करने के लिए राज्य की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाया है। सुनवाई के दौरान, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जार्ज मसीह ने एथलीट पूजा ठाकुर के साथ किए गए व्यवहार पर अपनी निराशा व्यक्त की।
पूजा ठाकुर, जिन्होंने 2014 में दक्षिण कोरिया के इंचियोन में एशियाई खेलों में कबड्डी में स्वर्ण पदक और 2015 के राष्ट्रीय खेलों में रजत पदक जीता था, को रोजगार पाने में नौकरशाही की बड़ी बाधाओं का सामना करना पड़ा। अपनी खेल उपलब्धियों के बावजूद, ठाकुर को वादा किए गए सरकारी नौकरी पाने के लिए नौकरशाही की देरी को सालों तक सहना पड़ा।
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कार्यवही के दौरान पीठ ने टिप्पणी की, ‘क्या आप खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित करने हैं?’ किसी ने 2014 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता है, आपके मुख्यमंत्री को व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए.., खिलाडिय़ों के साथ व्यवहार करते समय राज्य का यही दृष्टिकोण है।’
इसके बाद Supreme Court ने हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा हाईकोर्ट के उस आदेश के विरुद्ध अपील को खारिज कर दिया, जिसमें ठाकुर को जुलाई 2015 में उनके द्वारा आरंभिक आवेदन की तिथि से ही आबकारी एवं कराधान अधिकारी के रुप में नियुक्त करने का निर्देश दिया गया था।
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हाईकोर्ट ने पहले एकल न्यायाधीश के निर्णय को बरकरार रखा था, जिसने ठाकुर को आवेदन की तिथि से वरिष्ठता सहित सभी परिणामी लाभ प्रदान किए थे।
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने ठाकुर द्वारा दो मूल आवेदन दायर करने के बाद उन्हें प्रथम श्रेणी के पद पर नियुक्त करने में राज्य की अनिच्छा की आलोचना की, जिससे संकेत मिलता है कि अधिकारी उनसे किए गए वादे को पूरा करने के उनके आग्रह से नाखुश थे।
हाईकोर्ट ने कहा, ‘अपीलकर्ताओं की ओर से विद्वान एकल न्यायाधीश द्वारा प्रतिवादी को जुलाई 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री को आवेदन प्रस्तुत करने की तिथि से आबकारी व कराधान विभाग में आबकारी एवं कराधान अधिकारी के पद पर नियुक्ति के लिए दिए गए लाभ से इनकार करना अत्यधिक अनुचित है।’
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