BBMB @ नीम हकीम खतरा-ए-जान: सरकारी अस्पताल की लापरवाही से मुश्किल में पढ़ी गर्भवती महिला की जान। देखें Live Video

नंगल । राजवीर दीक्षित

(Employee’s Wife Faces Medical Emergency Amid BBMB Hospital’s Lapses) चिकित्सा सेवा का मूल उद्देश्य है हर मरीज को समय पर और उचित इलाज उपलब्ध कराना, लेकिन जब एक पढ़ी-लिखी विशेषज्ञ डॉक्टर ही अपनी जिम्मेदारी निभाने में चूक कर दे, तो सवाल उठना लाज़िमी है। ऐसी ही एक चिंताजनक घटना बीबीएमबी अस्पताल में हुई है, जिसने न केवल एक परिवार को संकट में डाल दिया, बल्कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों को भी उजागर किया है।

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9 महीने तक इलाज के बाद भी मदद से मुंह मोड़ा

यह मामला बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड) अस्पताल का है, जो अक्सर विवादों और लापरवाहियों के कारण चर्चा में रहता है। एक गर्भवती महिला ने इस अस्पताल की महिला विशेषज्ञ डॉक्टर से 9 महीने तक नियमित इलाज करवाया। लेकिन जब रविवार को प्रसव पीड़ा हुई, तो डॉक्टर ने छुट्टी का बहाना बनाते हुए महिला को प्राइवेट अस्पताल में रैफर कर दिया।

टेलीफोन पर आदेश, मौके पर डॉक्टर की गैरमौजूदगी

सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि महिला विशेषज्ञ डॉक्टर खुद अस्पताल नहीं आईं। उन्होंने केवल टेलीफोन पर स्टाफ को निर्देश दिया कि महिला को रैफर कर दिया जाए। अस्पताल की इस लापरवाही ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि आखिर मरीजों के जीवन के प्रति इतनी गैर-जिम्मेदारी कैसे बरती जा सकती है?

बीबीएमबी अस्पताल: विवादों से पुराना नाता

बीबीएमबी अस्पताल कोई पहली बार लापरवाही के आरोपों में घिरा नहीं है। यह अस्पताल अक्सर अपने कुप्रबंधन और अव्यवस्थाओं के कारण सुर्खियों में रहता है। भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड द्वारा यह अस्पताल अपने कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए स्थापित किया गया था, ताकि उन्हें समय पर बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें। लेकिन इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि अस्पताल प्रबंधन की खामियों का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।

बीबीएमबी कर्मचारी की पत्नी बनी लापरवाही का शिकार

जिस गर्भवती महिला को रैफर किया गया, वह भाखड़ा डैम के लेफ्ट पावर हाउस में काम करने वाले एक कर्मचारी की पत्नी है। यह और भी अधिक चिंता का विषय है कि अगर कर्मचारियों के परिवारों के साथ ऐसा सुलूक हो सकता है, तो आम जनता को कैसे भरोसा दिलाया जाएगा कि उन्हें बेहतर इलाज मिलेगा?

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प्राइवेट अस्पताल भेजने की बढ़ती प्रवृत्ति

यह घटना केवल एक महिला के साथ हुई लापरवाही का मामला नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि कैसे सरकारी अस्पतालों में जिम्मेदारी का अभाव बढ़ता जा रहा है। गंभीर मामलों को प्राइवेट अस्पतालों में भेजने का चलन अब आम हो गया है, जिससे सवाल उठता है कि क्या सरकारी अस्पताल अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल हो रहे हैं?

लोगों में गुस्सा और आक्रोश

इस घटना के बाद स्थानीय लोगों और कर्मचारियों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि अस्पताल में मौजूद संसाधनों और विशेषज्ञ डॉक्टरों के होते हुए भी मरीजों को दूसरे अस्पतालों में भेजना बेहद निंदनीय है। बीबीएमबी प्रबंधन से अब सवाल पूछा जा रहा है कि क्या इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त की जाएगी ?

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सरकारी अस्पतालों की घटती विश्वसनीयता

यह घटना एक उदाहरण है कि कैसे सरकारी अस्पतालों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। अगर इसी तरह संवेदनशील मामलों में गैर-जिम्मेदारी बरती जाती रही, तो आम जनता का सरकारी अस्पतालों से भरोसा पूरी तरह उठ जाएगा।

क्या इस लापरवाही के लिए होगी कोई कार्रवाई?

अस्पताल की इस लापरवाही के बाद लोगों की मांग है कि महिला विशेषज्ञ डॉक्टर और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। लोगों का कहना है कि अगर समय रहते इस पर कार्रवाई नहीं की गई, तो भविष्य में और भी मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ हो सकता है।

समय पर इलाज न मिलने की वजह से जान का खतरा

गर्भावस्था के दौरान समय पर इलाज न मिलने से मां और बच्चे दोनों की जान को खतरा होता है। यह घटना न केवल एक परिवार की व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र की नाकामी को उजागर करती है।

नीम हकीम से ज्यादा खतरनाक लापरवाह डॉक्टर

जहां एक ओर कहा जाता है कि “नीम हकीम खतरा-ए-जान”, वहीं लापरवाह डॉक्टरों का व्यवहार उससे भी ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है। डॉक्टरों की जिम्मेदारी केवल इलाज करना ही नहीं, बल्कि मरीजों के प्रति संवेदनशील और जवाबदेह होना भी है।

प्रशासन से सवाल: किसकी है जिम्मेदारी?

इस घटना के बाद सवाल यह उठता है कि अगर विशेषज्ञ डॉक्टर छुट्टी के दिन इलाज से इनकार कर सकते हैं, तो मरीजों को कहां से मदद मिलेगी? क्या अस्पताल प्रबंधन की यह जिम्मेदारी नहीं थी कि वे ऐसी स्थिति में तुरंत व्यवस्था करें?

स्वास्थ्य तंत्र में सुधार की सख्त जरूरत

यह घटना इस बात का प्रमाण है कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की सख्त जरूरत है। अगर समय रहते इन समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो भविष्य में ऐसे और भी गंभीर मामले सामने आ सकते हैं।

मीडिया और जनता की भूमिका

इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर भी भारी चर्चा हो रही है। लोग अस्पताल प्रशासन के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और सरकारी सेवाओं की जवाबदेही तय करने की मांग कर रहे हैं।

निष्कर्ष: मरीजों के जीवन से खिलवाड़ नहीं

सरकारी अस्पतालों का उद्देश्य होता है कि वे हर मरीज को समान और उचित इलाज प्रदान करें। लेकिन बीबीएमबी अस्पताल की इस लापरवाही ने यह साफ कर दिया है कि सुधार की सख्त जरूरत है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और अस्पताल की व्यवस्था में कब बदलाव आता है।

अस्पताल की ऐसी लापरवाही के खिलाफ जागरूक रहना जरूरी है। आप भी इस खबर को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें, ताकि प्रशासन पर दबाव बनाया जा सके और आगे किसी भी मरीज की जिंदगी के साथ ऐसा खिलवाड़ न हो।

नोट: यह खबर एक गंभीर मामले की ओर इशारा करती है, जो हमारे स्वास्थ्य तंत्र के लिए चेतावनी है। समय रहते कड़े कदम उठाए जाने जरूरी हैं, ताकि भविष्य में किसी भी मरीज को इस तरह की स्थिति का सामना न करना पड़े।

अस्पताल की महिला विशेषज्ञ का कहना है कि कुछ क्रिटिकल केस होने के कारण व अस्पताल में पूर्ण प्रबन्ध न होने कारण की उक्त महिला मरीज को रैफर किया गया है। उन्होंने लग रहे आरोपो का खंडन भी किया है।