जालंधर । राजवीर दीक्षित
(New Study Reveals Toxic Microplastics from Tea Bags) टी बैग से बनी चाय भी सेहत के लिए घातक हो सकती है। बार्सिलोना की स्वायत्त यूनिवर्सिटी (यूएबी) के वैज्ञानिकों ने एक नए अध्ययन में इस बारे में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। शोध में पता चला है कि पॉलीमर आधारित टी बैग गर्म पानी में डालने के बाद माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक (एमएनपी) के लाखों कण छोड़ते हैं। अध्ययन के नतीजे ‘केमोस्फीयर’ पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।
नाइलॉन जैसे पदार्थों से बने होते हैं टी बैग
अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि टी बैग से निकलने वाले प्लास्टिक के ये बारीक कण हमारी आंतों की कोशिकाओं द्वारा अवशोषित किए जा सकते हैं, जहां से ये रक्तप्रवाह में प्रवेश करने के बाद पूरे शरीर में फैल सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ये प्लास्टिक टी बैग आमतौर पर नायलॉन-6, पॉलीप्रोपाइलीन और सेल्यूलोज जैसे पदार्थों से बने होते हैं।
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वैज्ञानिकों ने विभिन्न प्रकार के टी बैग का अध्ययन करके उनमें मौजूद प्लास्टिक के इन बारीक कणों की पहचान की है। अध्ययन में वैज्ञानिकों ने टी बैग्स से निकलने वाले कणों का अध्ययन करने के लिए इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (एस.ई.एम. और टी.ई.एम.), इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी (ए.टी.आर.-एफ.टी.आई.आर.) जैसे उन्नत उपकरणों की मदद ली है।
अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि जब इन टी बैग्स को गर्म पानी में रखा जाता है, तो इनमें से बड़ी मात्रा में बारीक प्लास्टिक के कण निकलते हैं, जो हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।
ऐसे किया गया अध्ययन
इस शोध में जिन टी बैग्स का अध्ययन किया गया, वे नायलॉन-6, पॉलीप्रोपाइलीन और सेल्यूलोज से बने थे। शोध के नतीजे बताते हैं कि पॉलीप्रोपाइलीन से बने टी बैग्स प्रति मिलीलीटर 1.2 बिलियन कण छोड़ते हैं। इन कणों का औसत आकार करीब 137 नैनोमीटर होता है। वहीं, सेल्यूलोज से बने टी बैग्स में से प्रति मिलीलीटर 13.5 करोड़ कण निकलते हैं, जिनका औसत आकार 244 नैनोमीटर होता है। इसी तरह, नायलॉन-6 से बने चाय के बैग ने प्रति मिलीलीटर 8.18 लाख कण छोड़ें, जो औसतन 138 नैनोमीटर आकार के थे।
वैज्ञानिकों ने इन कणों का परीक्षण मानव आंतों की कोशिकाओं पर भी किया ताकि यह देखा जा सके कि वे कैसे परस्पर क्रिया करते हैं। उन्होंने पाया कि बलगम बनाने वाली कोशिकाओं ने सबसे अधिक सूक्ष्म कणों और नैनोप्लास्टिक को अवशोषित किया, और कुछ कण कोशिकाओं के अंदर तक भी पहुंच गए।